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Credit: Wikimedia Commons

IRCTC selling user data?: देश में परिवहन की रीढ़ कहे जाने वाली भारतीय रेलवे (Indian Railways) की सहायक कंपनी इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) अब कुछ ऐसा कदम उठाने जा रही है, जिसका सीधा संबंध आपसे है!

जी हाँ! असल में सामने आई खबरों के मुताबिक, आईआरसीटीसी (IRCTC) ने अब यूजर्स के पर्सनल डेटा को बेचकर पैसे कमाने की योजना बनाई है, वो भी कोई मामूली रकम नहीं, बल्कि लगभग ₹1000 करोड़ तक की कमाई की जा सकती है।

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असल में इस बार की जानकारी इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (Internet Freedom Foundation) ने अपने एक ट्वीट के जरिए दी है।

इसमें बताया गया है कि IRCTC ने इस संबंध में एक कंसलटेंट नियुक्त करने का फैसला किया है, जो उसको ये सलाह दे सके कि आखिर ‘यूजर डेटा मोनेटाइजेशन’ या आसान भाषा में कहें तो यूजर्स डेटा का इस्तेमाल करके कमाई कैसे की जा सकती है?

ट्वीट के अनुसार, कंसलटेंट नियुक्त करने के लिए IRCTC ने एक टेंडर भी जारी किया है। वैसे कहा जा रहा है कि आईआरसीटीसी इस प्रक्रिया के दौरान ग्राहकों के डेटा प्राइवेसी (Data Privacy) का भी पूरा ध्यान रखेगी। लेकिन यह तो तभी प्रमाणित हो पाएगा, जब ये साफ होगा कि यूजर्स के पर्सनल डेटा का इस्तेमाल किस तरह से किया जाएगा?

IRCTC selling user data? – कैसे होगा इस्तेमाल?

इस इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि भारतीय रेलवे का इस्तेमाल करने के लिए देश भर में अधिकांश लोग़ IRCTC के प्लेटफ़ॉर्म का ही इस्तेमाल करते हैं। इसलिए कंपनी के पास बड़ी मात्रा में (एक अनुमान के अनुसार लगभग 100TB से अधिक) देश भर के लोगों का पर्सनल डेटा मौजूद है, जिसमें उनके नाम, ई-मेल से लेकर मोबाइल नंबर आदि अहम जानकारियाँ शामिल हैं।

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सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, IRCTC फिलहाल यूजर्स के ट्रैवलिंग पैटर्न, ट्रैवलिंग हिस्ट्री और लोकेशन आदि जैसे डेटा शेयर करने पर विचार कर रही है।

जाहिर है, ग्राहकों के डेटा से पैसे कमाते वक्त इसे देश के आईटी एक्ट (IT Act) को भी पूरी तरह से सुनिश्चित करना होगा, और इसके तहत प्रतिबंधित संवेदनशील यूजर डेटा शेयरिंग से जुड़े प्रावधानों का खासा ध्यान रखना होगा।

लेकिन ये सब कैसे किया जाएगा, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है, इसलिए इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (IFF) और अन्य कुछ जानकार यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर अपनी-अपनी चिंताए भी व्यक्त कर रहे हैं।

कुछ जानकारों का कहाँ है कि IRCTC एक तरीका ये भी अपना सकती है कि वह ई-कैटरिंग कंपनियों और कैब सेवा प्रदाताओं के साथ कुछ यूजर डेटा शेयर करे ताकि ये थर्ड पार्टी कंपनियाँ लोगों द्वारा यात्रा करने के दौरान, उनके फोन पर अपनी सेवाओं के नोटिफिकेशन आदि भेज सकें।

लेकिन ये सब फिलहाल संभावना मात्र हैं, क्योंकि इसको वास्तविकता का रूप कैसे दिया जाएगा, ये अभी तक साफ नहीं हो सका है।